सा विद्या या विमुक्तये अर्थात विद्या ऐसी हो जो मुक्ति प्रदान करें। विद्या ऐसी होनी चाहिए जो अज्ञानता,निर्धनता,समस्या,कुरीतियों,अन्धविश्वास व पाखण्ड से मुक्ति दिलावें। जिस प्रकार प्रकाश से अन्धकार समाप्त हो जाता है, उसी प्रकार ज्ञान से व्यक्ति का पूरा जीवन प्रकाशमय हो जाता है और समस्या रुपी अन्धकार हमेशा के लिये समाप्त हो जाता है।
मैं स्वंय काफी कठिनाईयों से स्नातक तथा स्नाकोत्तर की शिक्षा काफी दूर जाकर ग्रहण किया हूॅ। एक विद्यार्थी के जीवन में आने वाली कठिनाईयों से परिचित हूॅ। शिक्षा की महत्ता को समझते हुए तथा सन् 2005 में यहाॅ की जनता के द्वारा जिला पंचायत सदस्य के रुप में जनप्रतिनिधि र्निवाचित करने की जिम्मेदारी समझते हुए एक महाविद्यालय स्थापित किये जाने के प्रयास के परिणामस्वरुप ग्राम पन्नूगंज, विकास खण्ड-चतरा,जनपद-सोनभद्र,उ0प्र0 में अथक प्रयास से प्रियदर्शी अशोक महाविद्यालय की स्थापना परिजनों एवं शुभचिन्तको के सहयोग से किया गया है।
यह महाविद्यालय इस दूरुह क्षे़़त्र के छात्र-छात्राओं एवं अभिभावको के लिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक मिशाल कायम करेगा। क्षेत्रीयजनों एवं अभिभावको के सहयोग की आशा व विश्वास के साथ महाविद्यालय के उज्वल भविष्य की मंगल कामना करता हूॅ।