अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· की कलम से
सा विदà¥à¤¯à¤¾ या विमà¥à¤•à¥à¤¤à¤¯à¥‡ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¥€ हो जो मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करें। विदà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¥€ होनी चाहिठजो अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾,निरà¥à¤§à¤¨à¤¤à¤¾,समसà¥à¤¯à¤¾,कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚,अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ व पाखणà¥à¤¡ से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ दिलावें। जिस पà¥à¤°à¤•ार पà¥à¤°à¤•ाश से अनà¥à¤§à¤•ार समापà¥à¤¤ हो जाता है, उसी पà¥à¤°à¤•ार जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का पूरा जीवन पà¥à¤°à¤•ाशमय हो जाता है और समसà¥à¤¯à¤¾ रà¥à¤ªà¥€ अनà¥à¤§à¤•ार हमेशा के लिये समापà¥à¤¤ हो जाता है।
मैं सà¥à¤µà¤‚य काफी कठिनाईयों से सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤• तथा सà¥à¤¨à¤¾à¤•ोतà¥à¤¤à¤° की शिकà¥à¤·à¤¾ काफी दूर जाकर गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया हूॅ। à¤à¤• विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ के जीवन में आने वाली कठिनाईयों से परिचित हूॅ। शिकà¥à¤·à¤¾ की महतà¥à¤¤à¤¾ को समà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤ तथा सनॠ2005 में यहाॅ की जनता के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जिला पंचायत सदसà¥à¤¯ के रà¥à¤ª में जनपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ रà¥à¤¨à¤¿à¤µà¤¾à¤šà¤¿à¤¤ करने की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ समà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤ à¤à¤• महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किये जाने के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ के परिणामसà¥à¤µà¤°à¥à¤ª गà¥à¤°à¤¾à¤® पनà¥à¤¨à¥‚गंज, विकास खणà¥à¤¡-चतरा,जनपद-सोनà¤à¤¦à¥à¤°,उ0पà¥à¤°0 में अथक पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ से पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¦à¤°à¥à¤¶à¥€ अशोक महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ परिजनों à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤à¤šà¤¿à¤¨à¥à¤¤à¤•ो के सहयोग से किया गया है।
यह महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ इस दूरà¥à¤¹ कà¥à¤·à¥‡à¤¼à¤¼à¤¤à¥à¤° के छातà¥à¤°-छातà¥à¤°à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ अà¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤•ो के लिठउचà¥à¤š शिकà¥à¤·à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¤• मिशाल कायम करेगा। कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ अà¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤•ो के सहयोग की आशा व विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के साथ महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के उजà¥à¤µà¤² à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की मंगल कामना करता हूॅ।
महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯
जनपद सोनà¤à¤¦à¥à¤° काफी धनी परनà¥à¤¤à¥ यहाॅ के लोग काफी पिछडे़, नकà¥à¤¸à¤² पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤, आदिवासी,वनवासी,गरीब,रà¥à¤¨à¤¿à¤§à¤¨ à¤à¤µà¤‚ असहाय है। शिकà¥à¤·à¤¾ विशेषकर उचà¥à¤š शिकà¥à¤·à¤¾ के अà¤à¤¾à¤µ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की मà¥à¤–à¥à¤¯ धारा से काफी पिछड़ गये है।
पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¦à¤°à¥à¤¶à¥€ अशोक महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ गà¥à¤°à¤¾à¤® व पोसà¥à¤Ÿ-पनà¥à¤¨à¥‚गंज,विकास खणà¥à¤¡ चतरा,जिला सोनà¤à¤¦à¥à¤° उ0पà¥à¤°0 की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के गरीब à¤à¤µà¤‚ पिछडे छातà¥à¤°-छातà¥à¤°à¤¾à¤“ं को उचà¥à¤š शिकà¥à¤·à¤¾ की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ उपलबà¥à¤§ कराकर छातà¥à¤°-छातà¥à¤°à¤¾à¤“ं की शारीरिक à¤à¤µà¤‚ बौदà¥à¤§à¤¿à¤• कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ का संयà¥à¤•à¥à¤¤ रà¥à¤ª से राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ के लिये पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर उसका उपयोग राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के विकास,सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾,सरंकà¥à¤·à¤¾ तथा मानवता कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करना है।
पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¦à¤°à¥à¤¶à¥€ समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ अशोक महान
(273 ई0पू0 से 236 ई0पू0)
समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ अशोक न केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास के अपितू विशà¥à¤µ इतिहास के महानतम समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¥‹ में से à¤à¤• हैं। वे à¤à¤• महान विजेता,कà¥à¤¶à¤² पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤• à¤à¤µà¤‚ सफल राजनीतिक नेता थे।चाहे जिस दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¥€ उनकी उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन किया जाय,वह सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ योगà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ होता है। उनमें चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤—à¥à¤ªà¥à¤¤ मोरà¥à¤¯ जैसी शकà¥à¤¤à¤¿,समà¥à¤¦à¥à¤°à¤—à¥à¤ªà¥à¤¤ जैसी बहà¥à¤®à¥à¤–ी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ तथा अकबर जैसी सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ थी। उनके शासनकाल में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· ने अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ राजनैतिक à¤à¤•ता à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार किया था। वह à¤à¤• पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¾à¤²à¤• समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ थे। राजतà¥à¤µ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ उनकी धारणा पितृपरक थी।उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ अपने छठें शिलालेख में अपने विचार इन शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किये हैं “सरà¥à¤µà¤²à¥‹à¤• हित मेरा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है,सरà¥à¤µà¤²à¥‹à¤•हित से बढकर कोई दूसरा करà¥à¤® नहीं है, मै जो कà¥à¤› पराकà¥à¤°à¤® करता हूॅ वह इसलिये कि à¤à¥‚तों के ऋण से मà¥à¤•à¥à¤¤ होऊ”समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ अशोक के पास असीम साधन व शकà¥à¤¤à¤¿ थी और यदि वे चाहते तो उसे विशà¥à¤µ विजय के कारà¥à¤¯ में लगा सकते थे परनà¥à¤¤à¥ उनका कोमल हà¥à¤¨à¤¦à¤¯ मानव जाति के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिये दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¤ हो उठा और उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ शकà¥à¤¤à¤¿ की पराकाषà¥à¤ ा पर पहà¥à¥…च कर विजय कारà¥à¤¯à¥‹ से पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ मà¥à¤– मोड़ लिये। यह अपने आप में à¤à¤• आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤œà¤¨à¤• घटना है जो विशà¥à¤µ इतिहास में अपनी सानी नही रखती,उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® के उपासक सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª को गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर उसके पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° में अपने विशाल सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के सà¤à¥€ साधनों को लगा दिये लेकिन जनहित के कारà¥à¤¯à¥‹ की à¤à¥€ उपेकà¥à¤·à¤¾ नही होने दिये। इस पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कारà¥à¤¯ के फलसà¥à¤µà¤°à¥à¤ª बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® जो तृतीय शताबà¥à¤¦à¥€ ईसा पूरà¥à¤µ में मगध राजà¥à¤¯ के इरà¥à¤¦-गिरà¥à¤¦ ही फैला था,न केवल समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· à¤à¤µà¤‚ लंका में विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ हà¥à¤† अपितू à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾, पूरà¥à¤µà¥€ यूरोप तथा उतà¥à¤¤à¤°à¥€ अफà¥à¤°à¥€à¤•ा तक फैल गया।इस पà¥à¤°à¤•ार पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¦à¤°à¥à¤¶à¥€ अशोक ने अपने अदमà¥à¤¯ साहस à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ धरà¥à¤® को विशà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ धरà¥à¤® बना दिया परनà¥à¤¤à¥ इस धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उनके अदमà¥à¤¯ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ ने उनà¥à¤¹à¥‡ अनà¥à¤¯ धरà¥à¤®à¥‹ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कà¥à¤°à¥à¤° अथवा असहिषà¥à¤£à¥ नही बनाया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® को कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ का अपना संदेश दूर दूर तक फैलाये। अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मामलो मेंवे शानà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ थे।अशोक ने ही विशà¥à¤µ को जीओ और जीने दो तथा राजनीतिक ंिहंसा धरà¥à¤® विरà¥à¤¦à¥à¤§ है का पाठपढाये। à¤à¤š0जी0वेलà¥à¤¸ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ इतिहासकार ने लिखा है “इतिहास के सà¥à¤¤à¤®à¥à¤à¥‹ को à¤à¤°à¤¨à¥‡ वाले राजाओं, समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¥‹à¤‚, धरà¥à¤®à¤¾à¤§à¤¿à¤•ारीयों, सनà¥à¤¤-महातà¥à¤®à¤¾à¤“ं आदि के बीच अशोक का नाम पà¥à¤°à¤•ाशमान है। और आकाश में à¤à¤•ांकी तारे की तरह चमकता है। वोलà¥à¤—ा से जापान तक आज à¤à¥€ उनके नाम का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ किया जाता है“। इस पà¥à¤°à¤•ार विशà¥à¤µ इतिहास में पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¦à¤°à¥à¤¶à¥€ अशोक का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ है। सही अरà¥à¤¥à¥‹ में वे पà¥à¤°à¤¥à¤® राषà¥à¤Ÿà¥€à¤¯ शासक थे।जब हम देखते है कि आज à¤à¥€ विशà¥à¤µ के देश हथियारों की होड़ रोकने तथा यà¥à¤¦à¥à¤§ की विà¤à¤¿à¤·à¤¿à¤•ा को टालने के लिये सतत पà¥à¤°à¤¸à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² रहने के बावजूद सफल नही हो पा रहे है तथा मानवता के लिये परमाणॠयà¥à¤¦à¥à¤§ का गमà¥à¤à¥€à¤° संकट बना हà¥à¤† है, तब अशोक के विचारों à¤à¤µà¤‚ कारà¥à¤¯à¥‹ की महतà¥à¤¤à¤¾ सà¥à¤µà¤¯à¤®à¥‡à¤µ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ हो जाती है। अशोक के उदातà¥à¤¤ आदरà¥à¤¶ विशà¥à¤µ शानà¥à¤¤à¤¿ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के लिये आज à¤à¥€ हमारा मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ करते है।सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ अशोक महान की उमरकीरà¥à¤¤à¤¿ सारनाथ अशोक सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ के सिंहशीरà¥à¤· को अपना राजचिनà¥à¤¹ के रà¥à¤ª में गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर मानवता के इस महान पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपनी सचà¥à¤šà¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤‚लि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ की है।
à¤à¤¸à¥‡ कालजयी महापà¥à¤°à¥à¤· से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ व पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर महाविधालय पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ समिति ने पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¦à¤°à¥à¤¶à¥€ अशोक के नाम पर पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¦à¤°à¥à¤¶à¥€ अशोक महाविधालय की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ किया है।